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बहुत कुछ कहना है .... पर सोचती हूं कैसे चुप रहना ह

बहुत कुछ कहना है ....
पर सोचती हूं कैसे चुप रहना है!
जिन्हें तुम ने पाला वो तुम्हें पालकर एहसान जताते चले गए ...
तेरे एक- एक पैसे पर अपना हिसाब लगाते चले गए ।
तेरे आंहों और आंसुओं की कीमत मेरी खामोशी नहीं हो सकती।
तेरे मुरझाए चेहरे की हर दास्तान लिखूंगी .....
हां मां.. मैं तेरा हर खामोश बयान लिखूंगी.💔

©Madhu Singh
  खामोश जुबान
madhusingh1559

Madhu Singh

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खामोश जुबान #Shayari

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