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लग चुकी है अब हमें आदत तुम्हारी । देखते रहते हैं ब

लग चुकी है अब हमें आदत तुम्हारी ।
देखते रहते हैं बस मूरत तुम्हारी ।।

ये गज़ल कुछ जम नहीं , रही मेरी।
हाँ इसे भी चाहिये सूरत तुम्हारी ।।

दिल तुम्हारा हमने भी लौटा दिया गर।
कौन रखेगा फिर ये आफत तुम्हारी ।।

नफ़रतों से कुछ नहीं होगा हमारा ।
हमें मारने को चाहिये चाहत तुम्हारी।। #Tumhari
लग चुकी है अब हमें आदत तुम्हारी ।
देखते रहते हैं बस मूरत तुम्हारी ।।

ये गज़ल कुछ जम नहीं , रही मेरी।
हाँ इसे भी चाहिये सूरत तुम्हारी ।।

दिल तुम्हारा हमने भी लौटा दिया गर।
कौन रखेगा फिर ये आफत तुम्हारी ।।

नफ़रतों से कुछ नहीं होगा हमारा ।
हमें मारने को चाहिये चाहत तुम्हारी।। #Tumhari
banshiparihar6249

B.L Parihar

New Creator