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खुरच रहीं हूँ... आँखों के मुहाने पर जमे अश्क़ के

खुरच रहीं हूँ...
आँखों के मुहाने पर जमे 
अश्क़ के आख़िरी कतरे को
जो सूख चुका है 
तुम्हारे विरह में.....
मिला लेना चाहती हूँ 
अपने काजल की डिबिया में 
खारेपन के इस कतरे को
और पहन लेना चाहती हूँ.. 
उमर भर के लिए |

-शिवानी त्रिपाठी "सोना" आप सभी के विचार सादर आमंत्रित हैं 
कृपया अपना शुभाशीष और स्नेह सदा बनाए रखें |

#meltingdown
खुरच रहीं हूँ...
आँखों के मुहाने पर जमे 
अश्क़ के आख़िरी कतरे को
जो सूख चुका है 
तुम्हारे विरह में.....
मिला लेना चाहती हूँ 
अपने काजल की डिबिया में 
खारेपन के इस कतरे को
और पहन लेना चाहती हूँ.. 
उमर भर के लिए |

-शिवानी त्रिपाठी "सोना" आप सभी के विचार सादर आमंत्रित हैं 
कृपया अपना शुभाशीष और स्नेह सदा बनाए रखें |

#meltingdown