क्या करें जो दर्द है तो, क्या कहें जो दर्द है तो, खुद की मोहब्बत को एहसाह नहीं, ये दर्द मेरा उसको खास नहीं, कुछ पल का दिखावा ही कर ले तू, पर मत कह मैं तेरा कोई खास नहीं, तकलीफ होती है सीने में बेकदर, मत कह होठों पर रही प्यास नहीं, मैं यूं ही तुझे देखकर जिन्दगी गुजार दूंगा, दूर मुझसे न जा ऐ मेरी जानेमन, वरना अपने जिस्म की बस्ती उजाड़ दूंगा...! वरना अपने जिस्म की बस्ती.........!