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एक लङकी रोज एक अनजाने लङके से अपनो सपनो मे मिलती ह

एक लङकी रोज एक अनजाने लङके से अपनो सपनो मे मिलती है
और उससे प्यार करने लगती 
वो उसके विषय मे  लिखती है कि-
"रोज तुम मेरे ख्वावो में आते हो
मेरी इस जहान में हमारा एक आशियाना बनाते हो
कभी अपनी अगुंलियो से मेरी जुल्फे सुलझाते हो 
कभी मेरी गोद में सिर रख मेरी आँखो में खो जाते हो
ना जाने क्यूँ
रोज तुम मेरे ख्वावो में आते हो
सागर सी बहती मेरी इन आँखो को तुम किनारा देते हो
बातो में उलछा कर तुम अपनी
मेरे सिर को अपने कन्धे का सहारा देते हो
हकीकत से परे ना जाने क्यू तुम रोज मेरे ख्बावो में आते हो
चाँदनी के साथ तुम आते हो 
किरणो की पहली बेला में ओझल तुम हो जाते हो
क्या रिश्ता क्या नाता है हमारे दरमियाँ
क्यूँ तुम बयाँ नही कर पाते हो
=___________ #u_come_in_my_dream
एक लङकी रोज एक अनजाने लङके से अपनो सपनो मे मिलती है
और उससे प्यार करने लगती 
वो उसके विषय मे  लिखती है कि-
"रोज तुम मेरे ख्वावो में आते हो
मेरी इस जहान में हमारा एक आशियाना बनाते हो
कभी अपनी अगुंलियो से मेरी जुल्फे सुलझाते हो 
कभी मेरी गोद में सिर रख मेरी आँखो में खो जाते हो
ना जाने क्यूँ
रोज तुम मेरे ख्वावो में आते हो
सागर सी बहती मेरी इन आँखो को तुम किनारा देते हो
बातो में उलछा कर तुम अपनी
मेरे सिर को अपने कन्धे का सहारा देते हो
हकीकत से परे ना जाने क्यू तुम रोज मेरे ख्बावो में आते हो
चाँदनी के साथ तुम आते हो 
किरणो की पहली बेला में ओझल तुम हो जाते हो
क्या रिश्ता क्या नाता है हमारे दरमियाँ
क्यूँ तुम बयाँ नही कर पाते हो
=___________ #u_come_in_my_dream