वो कहानी और थी न चाहतों की नुमाइशें, न हक न कोई फर्माइशें न इकरार था न इन्कार ही; न रंजिशें न बंदगी बस कशिश जो थी दबी हुई, न बयां हुई न छिपी कभी नजदीकियां दिलों में थी, जो खुद से भी न कहीं गईं फासले सालों के थे, जो कदम तय न कर सके खो गए वक़्त में तुम कहीं, हम बेनिशां से रह गए न मोहब्बत की थी ये दास्ताँ, न हीर मैं न राँझा थे तुम फिर क्या था जो था दरमियाँ, बेनाम सा एक वास्ता न निभा सके न भुला सके, वो रूहानियत कुछ और थी वो कहानी और थी वो कहानी और थी #kahaniaurtki #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan #wingsofpoetry