Jai shree ram हैं कितने भाग्यशाली हम जो प्राण -प्रतिष्ठा के साक्षी बन पाएं हैं प्रभु की मोहिनी मूरत का, दीदार जो कर पाए हैं इतने तुच्छ चक्षु,मुख व कर से कैसे तेरा गुड़गान करूं मैं भगवन तेरी सुंदरता का तो कामदेव भी कभी पार ना पाएं हैं। (२२/०१/२०२४) ©virutha sahaj #झलक