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#मैं अपनी नजरो मे गुलाम था# *करोडो की मुस्कुराहात

#मैं अपनी नजरो मे गुलाम था#

*करोडो की मुस्कुराहात *
आज एक चौरहे के Red Signal,
पर अपनी गाडी मे बैठा मैं,
बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था कि,
मेरी नज़र सड़क पर खेलते बच्चे पर टिक गयी |
मैं शीसे के इस पार वो शीसे के उस पार,
उसकी वो कारोडो की मुस्कुराहाट दिल मे ऊतर गयी,
मैं लाखो की गाडी में बैठा बेचैन सा,
और वो सड़को पर घूमता बिन्दास था |
मैं फ़कीर और  शायद वो एक बादशाह था |
मैं अपनी नजरो मे गुलाम था,
वो हर पल का जशन मनाता सुलतान था |
मैं अपनी ही उधेड़ बुन मे खोया मामूली सा इंसान था,
वो दुनिया की चकाचौध से दूर एक आफताब था  |
मैं अपनी ख्वाहीशो के कर्ज मे ड़ूबा बदहाल था,
वो ख्वाहीशो के बोझ से अंजन था |
मैं गुजरा हुआ कल था वो आने वाले कल की आस था |
मैं फ़कीर और  शायद वो एक बादशाह था |
मैं अपनी नजरो मे गुलाम था,
वो हर पल का जशन मनाता सुलतान था |

©Ankur Mishra #मैं #अपनी #नजरो #मे #गुलाम #था

*करोडो की मुस्कुराहात *
आज एक चौरहे के Red Signal,
पर अपनी गाडी मे बैठा मैं,
बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था कि,
मेरी नज़र सड़क पर खेलते बच्चे पर टिक गयी |
मैं शीसे के इस पार वो शीसे के उस पार,
#मैं अपनी नजरो मे गुलाम था#

*करोडो की मुस्कुराहात *
आज एक चौरहे के Red Signal,
पर अपनी गाडी मे बैठा मैं,
बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था कि,
मेरी नज़र सड़क पर खेलते बच्चे पर टिक गयी |
मैं शीसे के इस पार वो शीसे के उस पार,
उसकी वो कारोडो की मुस्कुराहाट दिल मे ऊतर गयी,
मैं लाखो की गाडी में बैठा बेचैन सा,
और वो सड़को पर घूमता बिन्दास था |
मैं फ़कीर और  शायद वो एक बादशाह था |
मैं अपनी नजरो मे गुलाम था,
वो हर पल का जशन मनाता सुलतान था |
मैं अपनी ही उधेड़ बुन मे खोया मामूली सा इंसान था,
वो दुनिया की चकाचौध से दूर एक आफताब था  |
मैं अपनी ख्वाहीशो के कर्ज मे ड़ूबा बदहाल था,
वो ख्वाहीशो के बोझ से अंजन था |
मैं गुजरा हुआ कल था वो आने वाले कल की आस था |
मैं फ़कीर और  शायद वो एक बादशाह था |
मैं अपनी नजरो मे गुलाम था,
वो हर पल का जशन मनाता सुलतान था |

©Ankur Mishra #मैं #अपनी #नजरो #मे #गुलाम #था

*करोडो की मुस्कुराहात *
आज एक चौरहे के Red Signal,
पर अपनी गाडी मे बैठा मैं,
बैठा मैं इधर उधर देख ही रहा था कि,
मेरी नज़र सड़क पर खेलते बच्चे पर टिक गयी |
मैं शीसे के इस पार वो शीसे के उस पार,