// अगर ठान ले तो आसमान छू सकती है //
औरत" जिसके बिना इस संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती को अगर इस सृष्टि का मूल कहा जाए तो यह सर्वाधिक उचित ही होगा, क्योंकि नारी शक्ति में ही संपूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है। एक पुरुष जो नारी को कमज़ोर कहता है, उसे सम्मान नहीं देता, उसका तिरस्कार करता है। उसे इस बात का ज्ञान क्यों नहीं कि औरत के बिना आखिर उसका अस्तित्व ही क्या है?