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आज वही फिर से कह डालो, कोई बात छुपाओ न। आपना आख़

आज वही फिर  से कह डालो,
 कोई बात छुपाओ न।
आपना आख़िर आपना ही है,
यह कहकर मुस्काओ न।।
कवि, प्रचण्ड,की छाती में
है बेटी का स्थान बड़ा,
मैं हाथी बन गया खेल में,
 पकड़ो कान उठाओ न।
चुपचाप खाओ खाना पापा,
कहकर फिर चिल्लाओ न।।
यह सब अब केसे संभव है,
तूँ चिड़िया उड़ चली अरे!
दुनिया के इन दस्तूरों में,
 किन किन के सपने बिखरे।।

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड" #पापा_की_परी ,
आज वही फिर  से कह डालो,
 कोई बात छुपाओ न।
आपना आख़िर आपना ही है,
यह कहकर मुस्काओ न।।
कवि, प्रचण्ड,की छाती में
है बेटी का स्थान बड़ा,
मैं हाथी बन गया खेल में,
 पकड़ो कान उठाओ न।
चुपचाप खाओ खाना पापा,
कहकर फिर चिल्लाओ न।।
यह सब अब केसे संभव है,
तूँ चिड़िया उड़ चली अरे!
दुनिया के इन दस्तूरों में,
 किन किन के सपने बिखरे।।

©उमाकान्त तिवारी "प्रचण्ड" #पापा_की_परी ,