#OpenPoetry मैं तन्हा होके भी खुद को नहीं तन्हा समझता हूँ। तेरी यादों के लम्हों को हसीं लम्हा समझता हूँ।। गुजर जायेगी जिंदगी अव सहारे तेरी यादों के। तेरी यादों को ही अपना मुकद्दर मैं समझता हूँ।।