पढूंगी तुम्हें जल्दबाज़ी में नहीं पर आहिस्ता आहिस्ता। हर्फ़ दर हर्फ़ समझूँगी तुम्हें , धीरे धीरे, वक़्त लेकर। रुकूँगी हर एक पन्ने पर, पूछूँगी कई सवाल तुमसे। गुस्सा ना होना मेरे सवालों पर, मेरी बातों पर। चाह है, तुम्हें बेहतर समझ सकूं। ना समझना तुम इसे मेरी कोई निजी ज़िद या ख़्वाहिश। बस दूर होने से पहले मिलाना चाहती हूं, तुम्हें अपने आप से। साथ देना चाहती हूँ उस पथ पर जहाँ एक मोड़ पे तुम रुक गए हो असमंजस में। हाथ पकड़ कर, ले जाना चाहती हूँ उस आईने के सामने, जहाँ तुम अपने प्यारे दिल से वापस मिल सको। तब तक रहने दो मुझे साथ अपने, कि जिस दिन रू-ब-रू हो जाओ ख़ुद से, मैं चली जाऊँगी तुमसे दूर, बिना कुछ कहे, छोड़ जाऊँगी निशान तेरे इन कोरे पन्नों पर। आ जाना तुम भी आख़िरी पन्ने तक का सफ़र तय करके, गले लगाकर कह जाना एक आख़िरी अलविदा मुझे। #आख़िरी_अलविदा #yqbaba #yqdidi