क्या जानना चाहती हो तुम प्रेम का शाब्दिक अर्थ या इसकी परिभाषा या फिर इसकी पराकाष्ठा। तो सुनो यह ढाई आखर प्रेम का बँधा नहीं है.. किसी अर्थ और परिभाषा में। ये तो है एक अनुभूति विशेष जिसमें है अलौकिकता का समावेश जो आदि से अंत तक शून्य से अनंत तक ईश्वर की ही भांति एक अमिट सत्य-सा व्याप्त है संपूर्ण जगत में। कभी सूक्ष्म-सा तो..व्यापक-सा है प्रकृति के कण-कण में पूर्णतःसमाहित-सा। यह तो है कभी राम और सीता-सा तो कभी कृष्ण और राधा-सा कभी यह सती की तपस्या-सा तो कभी शिव के तांडव-सा ऐसा अद्भुत है यह अहसास नहीं रहता इसमें तुम और मैं का कोई भाव जो तब से है अब तक सबमें जीवित तभी तो है ये.. ईश्वर-सा..ईश्वरीय-सा संपूर्ण समर्पण-सा.. मुझ-सा..तुम-सा हम सब-सा..।। --सुनीता डी प्रसाद 💐 #yqpowrim #yqdidi #yqpowrimo #ढाई आखर प्रेम का.. क्या जानना चाहती हो तुम ? प्रेम का शाब्दिक अर्थ या इसकी परिभाषा या फिर इसकी पराकाष्ठा। तो सुनो,