ग़ुलाब के खुशबू की तरह ओ महकने लगी हैं। चाँद की रोशनी की तरह ओ चमकने लगी हैं। कुछ तो ख़ास हैं उसमें, उन्हें देखने के लिए दिल धड़कने लगी हैं। By आर्या बरेठ। सिंपल सा थॉट ....