ममता की भूख मैं और उस माँ का कोख दुनिया की रीत गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप.... आज पहली बार उस अंधेरे में मैंने जीवित होने का सुबूत दिया आंगन में खुशियों की लहर तो आई पर उनके डर ने मुझे फिर से घेर लिया Read the whole poem here- ममता की भूख मैं और उस माँ का कोख दुनिया की रीत गर्भ में पल रहे उसका प्रकोप.... आज पहली बार उस अंधेरे में