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स्वीकृत सहनशीलता लिये एक दूजे के स्पंदन में जीविका

स्वीकृत सहनशीलता लिये
एक दूजे के स्पंदन में
जीविका से संस्कृति तक
धी बेटी का यश
पुरुषार्थ होगा न जब स्त्री पुरुष दोनों का संयोजन ही सृष्टि का आधार है...गृहस्थ जीवन का सार है...तो फिर बहुधा स्त्रियों पर ही क्यों की जाती है कविता??
PC: Pinterest
#कृतिकेकोलैब
#रजनी_के_तजु़र्बे 
#स्त्री_पुरुष
#yqlove
#yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine
Collaborating with Rajni Kheterpal
स्वीकृत सहनशीलता लिये
एक दूजे के स्पंदन में
जीविका से संस्कृति तक
धी बेटी का यश
पुरुषार्थ होगा न जब स्त्री पुरुष दोनों का संयोजन ही सृष्टि का आधार है...गृहस्थ जीवन का सार है...तो फिर बहुधा स्त्रियों पर ही क्यों की जाती है कविता??
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