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गर पर हौंसलों के भी बंध गए तो बंद कफ़स खोलेगा कौन ह

गर पर हौंसलों के भी बंध गए तो बंद कफ़स खोलेगा कौन
हम भी ज़बां बंद रखेंगे तो आख़िर यहाँ बोलेगा कौन
मुद्दत हुई उजालों को गुम हुए गहन जबसे लगा है सूरज को
जो हम भी समा गए इस रात में तो शहर में चराग़ा करेगा कौन

 Revisited
गर पर हौंसलों के भी बंध गए तो बंद कफ़स खोलेगा कौन
हम भी ज़बां बंद रखेंगे तो आख़िर यहाँ बोलेगा कौन
मुद्दत हुई उजालों को गुम हुए गहन जबसे लगा है सूरज को
जो हम भी समा गए इस रात में तो शहर में चराग़ा करेगा कौन

 Revisited