उलझ कर के तेरी ज़ुल्फ़ों में, मैं यूं आबाद हो जाऊं, कि जैसे लखनऊ का मैं अमीनाबाद हो जाऊं । मैं जमुना की तरह तन्हा, निहारूँ ताज को कब तक ? कोई गंगा मिले तो मैं इलाहाबाद हो जाऊं। ©Vishnuuu X #ज़ुल्फ़ें ✍ (Ashraf Jahangeer)