ताजमहल लगते हो कभी मत कहना तुम "ताज" मोहब्बत का मकबरा समझना तुम। मैं पुजारन तेरी मेरे प्यार के देवता रहना तुम तेरे दिल में रहे मेरा ठिकाना इतना करना तुम। जो देखे कोई और मुझे ना बर्दाश्त करना तुम दुनिया के देखने की चीज़ नहीं याद रखना तुम। नैन नक्श और रूप की ना सिर्फ़ तारीफ़ करना तुम होऊँ ग़मगीन जब अपने प्यार की बारिश करना तुम। रूप रँग नहीं रहता सदा जवाँ, इश्क़ जवाँ रखना तुम झोंपड़ी में रहकर भी मुहब्बत का पक्का मकां रखना तुम। ताजमहल लगते हो कभी मत कहना तुम ताज मोहब्बत का मकबरा समझना तुम। मैं पुजारन तेरी प्यार के देवता रहना तुम दिल में रहे मेरा ठिकाना इतना करना तुम। जो देखे कोई और मुझे ना बर्दाश्त करना तुम दुनिया के देखने की चीज़ नहीं याद रखना तुम।