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अनपढ़ थी मां , किसी से बातें करते हुए, शब्द के उच

अनपढ़ थी मां , किसी से बातें करते हुए, 
शब्द के उच्चारण ग़लत हो ही जाते थे
बेटे वहीं पर टोक देते कि ये नहीं ये है सही
उसको ये आभास करा देते कि वो अनपढ़ है
शायद बेटे भूल गए थे कि बोलना और पढ़ना
इसी अनपढ़ मां ने सिखाया था।
 आजकल बच्चे अपनी मां को ही सिखाते हैं
जीने का तरीका, रहने का तरीका
खाने का तरीका, बैठने का तरीका
शायद मां भूल गई थी कि बेटे अब बड़े हो गए हैं
उसके कारण बेटे की बदनामी अब होती है
इस समाज में।
क्योंकि उसका प्यार अब मां से नहीं उस समाज से है
जो वास्तव में कहीं है ही नहीं
अनपढ़ थी मां , किसी से बातें करते हुए, 
शब्द के उच्चारण ग़लत हो ही जाते थे
बेटे वहीं पर टोक देते कि ये नहीं ये है सही
उसको ये आभास करा देते कि वो अनपढ़ है
शायद बेटे भूल गए थे कि बोलना और पढ़ना
इसी अनपढ़ मां ने सिखाया था।
 आजकल बच्चे अपनी मां को ही सिखाते हैं
जीने का तरीका, रहने का तरीका
खाने का तरीका, बैठने का तरीका
शायद मां भूल गई थी कि बेटे अब बड़े हो गए हैं
उसके कारण बेटे की बदनामी अब होती है
इस समाज में।
क्योंकि उसका प्यार अब मां से नहीं उस समाज से है
जो वास्तव में कहीं है ही नहीं