ये शहरों की ओर सरपट जाती रेलगाड़िया ले जाती है उस शख़्स को अपनो से दूर,सपनो की तलाश में माँ की तबियत बिगड़ी,आया चंद दिनों के लिए गाँव को लौटकर। निकाला सेठ ने नोकरी से तो सपनो पर लटकी तलवार... माँ की दवाई,बेटे बेटी की पढ़ाई... पत्नी ने हाथ थामा और हिम्मत दिलाई एक बार फिर से सपनो की तलाश में अपनो की खातिर अपनो से दूर निकला है वो शख़्स उसी रेलगाड़ी में जो जाती है सपनों के शहर... #सुमित राजपुरोहित ©सुमित राजपुरोहित #अपने_और_सपने #सपने