साँझ साँझ की बेला बनकर, खुशियाँ लेकर तुम आना। मचलती सी रूह मेरी, मेरी बाँहों में समा जाना। ढलते सूरज की लालिमा, बनके मन को भा जाना। जो मेरे मन को शुकूँन दे, वो राहत बनके तुम आना। पवन के झोंके की तरह, मुझे छूकर चली जाना। तेरी खुश्बू में महकता रहूँ, ऐसा असर तुम कर जाना।। साँझ की बेला बनकर। #Sanjh #साँझ