चल रहीं सुइयाँ घड़ी की हर घड़ी ठहरी हुई है स्यान मन कि स्तब्धता! अनुभूतियाँ गहरी हुईं हैं सुरभि का आघात कटु व्याघात से किंचित विकट है घट रही घटनाओं के चिरन्तन साक्षी रक्तिम नयनघट हैं वर्ण है ये प्रेम प्रण का या समय का षड्यंत्र भर है कौन सी थाती बचाने धड़कने प्रहरी हुईं हैं? #toyou#tome#yqlife#yqtime#yqsignificatioन#yqlove