ज़रा चेहरा तो दिखादे आकर शाद हो जाऊंगा तुझको पाकर तेरे क़दमों का निशाँ मिल जाये वहीं रुक जाऊंगा मंज़िल पाकर पांव भी हो गऐ ज़ख़्मी मेरे ज़िन्दगी चैन देगी कब जाकर कुछ बचा ही नहीं दुनिया में अब जब से बैठा हूँ प्यार को खोकर ऐसी उम्मीद भी नहीं रखना फूल पाओगे खार को बोकर अश्क आँखों के रुक नहीं पाऐ जब गली से तेरी गुज़रा होकर गिर पड़ा थक के जहां भी नाज़िम खुद को खुद ही उठाया रो-रो कर ज़रा चेहरा तो दिखादे आकर शाद हो जाऊंगा तुझको पाकर तेरे क़दमों का निशाँ मिल जाये वहीं रुक जाऊंगा मंज़िल पाकर पांव भी हो गऐ ज़ख़्मी मेरे ज़िन्दगी चैन देगी कब जाकर कुछ बचा ही नहीं दुनिया में अब जब से बैठा हूँ प्यार को खोकर