तुमने अपने सिवाय कभी भी, किसी और के बारे में जरा सी सोचने की कोशिश की है। तुमने कभी अपनों की खुशियों के आगे, मेरी खुशियों को थोड़ी सी भी तवज्जो दी है। तुम्हारे घर का बेजुबान जानवर भी, मुझसे ज्यादा प्यारा और क़िस्मत वाला है। कम से कम उसका प्यार से, दुलार से और संभाल के ख्याल तो रखा जाता है। तुमने कभी समझने की कोशिश की है मुझे, महसूस की, कभी सुनी है सिसकियाँ मेरी, गलत ना होते हुए भी मुझे ही गलत बताकर, ताने मार-मार कर दोषी बना दिया जा़ता है। तानों के जरिए मेरे पूरे खानदान की कमियों को, एक-एक करके गिना दिया जाता है। कभी पलट के जवाब दो तो पराये घर की कहते, घर से निकालने की धमकी देते रहते हैं। कभी सुनने की कोशिश की है तुमने मेरी दर्द भरी जिंदगी की सिसकियों की दास्तान। मेरे इश्क को समझा होता तो मुझे समझते और महसूस करते समझौता कहाँ तक करें और कैसे जिएं बेबसी की जिन्दगी हँसते-हँसते। ♥️ Challenge-716 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।