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मैंने गुनाहों से तौबा नहीं की, मैंने अभी तक ख़ुद को

मैंने गुनाहों से तौबा नहीं की,
मैंने अभी तक ख़ुद को माफ नहीं किया।

न जाने कैसे होगी बख़्शिश मेरी मैदान-ए-हश्र में,
मैंने उसपे किए ज़ुल्म का एतिराफ़ नहीं किया।

~Hilal #Etraaf
मैंने गुनाहों से तौबा नहीं की,
मैंने अभी तक ख़ुद को माफ नहीं किया।

न जाने कैसे होगी बख़्शिश मेरी मैदान-ए-हश्र में,
मैंने उसपे किए ज़ुल्म का एतिराफ़ नहीं किया।

~Hilal #Etraaf