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कभी कभी बैठ जाता हूँ एक कोने में ये देखने के लिए क

कभी कभी बैठ जाता हूँ एक कोने में
ये देखने के लिए कि सच क्या है
सच तो कभी देख नही पाया
पर झुठ से सबको खुश होते देखा जरूर।
सच को बिकते हुए देखा झुठ के सामने
झुठ को उठते हुए देखा सच के सामने
इस सच झुठ के खेल में मैं सच और झुठ का अंतर भूल गया।
जिसको सच माना वो झुठ निकला
और जो झुठ ही है उसको क्यूँ सच मानना।
आज छात्रों कि प्रतिभाएँ भी इसी सच और झुठ के बीच मझधार में फँसी हुई है।
सच तो ये है कि प्रतिभाएँ सम्मानित होती है
और सफेद झुठ ये की यह बात सच है।
आज के परिवेश में भी अधिकतम छात्रों की सफलताएँ इस बात पे निर्भर करती है कि शिक्षक ने अपनी योग्यता कक्षा में दिखा दी है अब आप अपनी योग्यता उनके पॉकेट भर के दिखाओ।
आप अपनी योग्यता दिखाओ और अधिक से अधिक नंबर पाओ।
"जय हो शिक्षक और जय हो उनकी शिक्षा व्यव्स्था "👏
इस रेस में भी सच पिछे रह जाता है और झुठ आगे।
एक सच जो बहुत ही गौण था
सच को दूँढा तो सच कौन था
ना आ सका सच कभी सामने मेरे
क्यूँकी सच झुठ के आगे भी मौन था।
ये लेखक के अपने विचार हैं🤘

©Sandeep Sagar
  #sachyajhuth
#sagarkidiaryse
कभी कभी बैठ जाता हूँ एक कोने में
ये देखने के लिए कि सच क्या है
सच तो कभी देख नही पाया
पर झुठ से सबको खुश होते देखा जरूर।
सच को बिकते हुए देखा झुठ के सामने
झुठ को उठते हुए देखा सच के सामने
इस सच झुठ के खेल में मैं सच और झुठ का अंतर भूल गया।
जिसको सच माना वो झुठ निकला
और जो झुठ ही है उसको क्यूँ सच मानना।
आज छात्रों कि प्रतिभाएँ भी इसी सच और झुठ के बीच मझधार में फँसी हुई है।
सच तो ये है कि प्रतिभाएँ सम्मानित होती है
और सफेद झुठ ये की यह बात सच है।
आज के परिवेश में भी अधिकतम छात्रों की सफलताएँ इस बात पे निर्भर करती है कि शिक्षक ने अपनी योग्यता कक्षा में दिखा दी है अब आप अपनी योग्यता उनके पॉकेट भर के दिखाओ।
आप अपनी योग्यता दिखाओ और अधिक से अधिक नंबर पाओ।
"जय हो शिक्षक और जय हो उनकी शिक्षा व्यव्स्था "👏
इस रेस में भी सच पिछे रह जाता है और झुठ आगे।
एक सच जो बहुत ही गौण था
सच को दूँढा तो सच कौन था
ना आ सका सच कभी सामने मेरे
क्यूँकी सच झुठ के आगे भी मौन था।
ये लेखक के अपने विचार हैं🤘

©Sandeep Sagar
  #sachyajhuth
#sagarkidiaryse