दूर,बहुत दूर निकल जाता प्रिय निर्जीव संग प्रायः ही नदी के मुंडेर पर टकटकी रहती विक्षोभ और मौन फाड़ती फोन की घण्टी कहती आइये फिर कहती धीरे से आइये विक्षोभ कहता मैं तो तर जाऊंगा घण्टी कहती आप तर गये। प्रेम इतना ही सहज है #प्रेम इतना ही सहज है #सजाकर #गीलातौलिया #मै_कविता #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Kavita Singh