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"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," वरना कौन हमें

"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," वरना कौन हमें इस दुनिया में,
जीने देता खुलकर ये ज़िन्दगानी। #पार्थ उवाच:
"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," वरना कौन हमें इस दुनिया में,
जीने देता खुलकर ये ज़िन्दगानी। #पार्थ उवाच: