White सुनो न मुझे लगता हैं हम जैसे इमोशनल पुरुष और स्त्रीयों को प्रेम से दूर ही रहना चाहिए। इंसान सब चीज़ से लड़ लेता है बस एक जिससे प्रेम करता है उसी के आगे हार जाता है। पूरी उम्मीद पूरी दुनिया मानकर हम जिस प्रेम के पीछे पागल रहते हैं, मन से जिसे हम अपनी पत्नी पति मान लेते हैं। वही प्रेम ऐसा तोड़ता है कि बस पूछो मत। अंदर ही अंदर सब कुछ खत्म हो चुका होता है कब का। कहाँ जाए किस्से कहे? किसके आगे रोये? किसके पास इतनी फुर्सत है? सहारे न रहे तो घुट घुट के खत्म हो जाये। बस साँस चल रही, धड़कन चल रही, लेकिन अंदर से मर चुके होते हैं। ©Andy Mann #Sad_Status वैद्य (dr) उदयवीर सिंह