अधूरा चाँद होता है उस नियति की ही लेखी कोई महलों में रह कर वीरान है, तो कोई बंझड़ में महान कहीं है रेगिस्तान में भी पानी, तो कहीं दिखे मृगतृष्णा प्रेम दिवाने राधा कृष्ण भी टूटे, संगिनी बनी रूकमणी कहने को विधाता ही लेखक, पर किस्मत से वो भी हारे देखी किसने है शुरूआती, कौन देखेगा सृष्टि का अंत धूप-छाव सुख-दुःख की माया, लिपटी हूई समय की आड में -📝Jyoti choudhary (monu) The Writer's Magnet आप सभी का इस प्रतियोगिता में स्वागत करता है। संत कबीर कह गए..... " देवी बड़ी ना देवता सुरज बड़ा ना चाँद आदी अन्त दोनों बड़े कहे गुरू के गोविन्द! "