White #मिट्टी खींचती हैं ओर अपनी , वो महक मिट्टी की, छोड़ आये दूर क्यूँ, वो खनक मिट्टी की, वो गाँव की पगडंडियां , खेत वो खलिहान, जिससे जुड़े हैं तार दिल के,वो धनक मिट्टी की, खो गई ख़ुशियों की लहर , शहर की भीड़ में, पर दिल मे टीसती है अक़्सर, सुगन्ध मिट्टी की, माँ बाप छूटे ,घर बार छूटा, छूट गया बचपन, अब ढूँढते हैं संसाधनो में, झलक मिट्टी की, वो शँख वो घड़ियाल वो अज़ान की ध्वनि, अब रह गई यादों में बस वो,गमक मिट्टी की, निकल आये हैं बहुत दूर तक, ख़्वाबों को ढूंढ़ते, अब जलाती हैं हर रोज जी को , वो दहक मिट्टी की।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #महकमिट्टीकी #पूनमकीकलमसे #नोजोटोहिन्दी Rameshkumar Mehra Mehra अदनासा- हिंदी कविता