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पल्लव की डायरी हवा के झोंके डरा रहे है औहदे जितने

पल्लव की डायरी
हवा के झोंके डरा रहे है
औहदे जितने बड़े है सता रहे है
बेचैनी घर ग़यी है सभी के अंदर
दिलो में गुस्से के शैलाब आ रहे है
फितूर बनाकर मजमा लगा रहे है
सब कुछ लगा दाँव पर हमारा
वे संसद में ठहाके लगा रहे है
चर्चा नही रोजी रोटी पर
मगर वे आकड़ो से दिल बहला रहे है
झूठ की बुनियाद पर
हिंदुस्तान को तबाही की और बढ़ा रहे
                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" चर्चा नही रोटी रोजी पर

#Hopeless
पल्लव की डायरी
हवा के झोंके डरा रहे है
औहदे जितने बड़े है सता रहे है
बेचैनी घर ग़यी है सभी के अंदर
दिलो में गुस्से के शैलाब आ रहे है
फितूर बनाकर मजमा लगा रहे है
सब कुछ लगा दाँव पर हमारा
वे संसद में ठहाके लगा रहे है
चर्चा नही रोजी रोटी पर
मगर वे आकड़ो से दिल बहला रहे है
झूठ की बुनियाद पर
हिंदुस्तान को तबाही की और बढ़ा रहे
                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" चर्चा नही रोटी रोजी पर

#Hopeless