मै भी किसान (मेरी कलम से ...) कवि परिचय-पवन कुमार शर्मा कौटिल्य मै देश की शान और सम्मान हूं मै भारत का किसान हूं । धरती मेरी मां है में धरती मा लाल हू । भारत मां की पहचान हू। खून पसीना बहाकर अन्न उपजाता हूं और अन्नदाता कहलाता हू। मै भारत की शान हूं मै भारत का किसान हूं भारतमां की पहचान हू। गरीबी में भी हर हाल में खुश रहता हूं । जो मिलता उससे काम चलता हूं । घर में जो हो खाने को उससे समय बिताता हु । पर आज के हालात देखकर थोड़ा उदास हो जाता हूं । नहीं बचे है खेत फसल उगाने को औद्योगिककरण बढ़ता ही जाता है । रासायनिको के प्रभाव से कभी फसल को नुकसान होता जाता है। ओलावृष्टि अतिवृष्टि और अनावृष्टि से सारा खेत बर्बाद हो जाता है । फिर भी खुश रहकर अपना काम चलता हू । उपजाता हो अन्न खेतो में अन्नदाता कहलाता हू। कोई लिखता आज के हालात पर कोई देश प्रेम पर लिख जाता है किसान के लिए भी कोई कुछ क्यों नहीं कुछ कह पाता है । सोचता है कवि कौटिल्य किसानो के लिए भी ऐसा कुछ कर जाओ । विनती है सरकार से आप किसान के समर्थन में ऐसा बिल बनाओ । थोड़े ह ही किसान उनके लिए भी कुछ कर जाओ और आगे बढ़ाओ तभी किसान खुश रह पाएगा तभी अपना और परिवार का गुजरा चला पाएगा । अपनी परिस्थिति सुधार पाएगा । कुछ आगे बढ़ पाएगा । मै भी किसान का सपना सार्थक हो पाएगा । जय जवान जय किसान कवि पवन कुमार शर्मा " कौटिल्य " ©Kavi Pawan Kumar Sharma kautliya #फार्मर #CloudyNight