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कहानी जो पुरानी फिर उसे कैसे सुनाऊँ मैं ? हर

कहानी  जो  पुरानी  फिर  उसे  कैसे  सुनाऊँ मैं ?
हरे हैं जख्म दिल के खोल कर कैसे दिखाऊं मैं ?
रहे  सपने  अधूरे  ख्वाब  सारे  आजतक तनहा ,
जले  दिल में  दिया  तू ही बता  कैसे जलाऊँ मैं ?

अशांत ( इंदौर )
कहानी  जो  पुरानी  फिर  उसे  कैसे  सुनाऊँ मैं ?
हरे हैं जख्म दिल के खोल कर कैसे दिखाऊं मैं ?
रहे  सपने  अधूरे  ख्वाब  सारे  आजतक तनहा ,
जले  दिल में  दिया  तू ही बता  कैसे जलाऊँ मैं ?

अशांत ( इंदौर )