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अनजान राह पर चल पड़े मेरे क़दम। मंज़िल की चाह में निक

अनजान राह पर चल पड़े मेरे क़दम।
मंज़िल की चाह में निकल पड़े हैं हम।

मिलते गए अजनबी हमसफ़र हो गए,
बांटते चले सब यहाँ एक दूसरे के गम।

मुसलसल बढ़ता रहे कारवाँ ज़िंदगी का,
चाहे हवाएँ हमपर ढाए कितने ही सितम।
 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
प्रतियोगिता क्रमांक- 03  #हृदय_अभिव्यक्ति_अनजानराह
प्रिय साथियों! आपका स्नेह और सहयोग अपेक्षित है-
प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए पिन पोस्ट का कैप्शन ध्यान पूर्वक पढ़िये।
🌺नियमानुसार लिखी हुई रचना ही सम्मिलित की जा सकेगी।
🌺रात 11 बजे कमेंट विकल्प बन्द हो जाएगा।
🌺Collab के पश्चात done लिखना न भूलें।
🌺पोस्ट करने से पूर्व collab ऑप्शन बंद कर दें, जिससे आपकी रचना का वॉलपेपर गंदा न होने पाए।
अनजान राह पर चल पड़े मेरे क़दम।
मंज़िल की चाह में निकल पड़े हैं हम।

मिलते गए अजनबी हमसफ़र हो गए,
बांटते चले सब यहाँ एक दूसरे के गम।

मुसलसल बढ़ता रहे कारवाँ ज़िंदगी का,
चाहे हवाएँ हमपर ढाए कितने ही सितम।
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प्रतियोगिता क्रमांक- 03  #हृदय_अभिव्यक्ति_अनजानराह
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प्रतियोगिता में सम्मिलित होने के लिए पिन पोस्ट का कैप्शन ध्यान पूर्वक पढ़िये।
🌺नियमानुसार लिखी हुई रचना ही सम्मिलित की जा सकेगी।
🌺रात 11 बजे कमेंट विकल्प बन्द हो जाएगा।
🌺Collab के पश्चात done लिखना न भूलें।
🌺पोस्ट करने से पूर्व collab ऑप्शन बंद कर दें, जिससे आपकी रचना का वॉलपेपर गंदा न होने पाए।
akankshagupta7952

Vedantika

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