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आज़ादी दे दो! - एक किन्नर की व्यथा। #inspirational

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यह कविता उन सभी किन्नर को समर्पित है जिन्हें यह मानव समाज एक आदर सम्मान के साथ समाज का हिस्सा नहीं बना पाया, उन्हें वह स्थान नहीं मिला और ना ही उन्हें परिवार का प्रेम मेला हमने हमेशा ही उनका मजाक बनाया और ना हीं उनको अच्छी शिक्षा मिल पाई नर्क से भी बदतर जीवन मिला, उनको अपनी भूख को मिटाने के लिए भीख मांगनी पड़ती है अगर हम अपने आप को धर्मी कहते हैं तो हमारे अंदर की रिक्त मानवता से यह सवाल है की हम इनको मानव क्यों नहीं समझ पाते इनको भी वही इज़्ज़त वही स्थान क्यों नहीं दे पाते उन्होंने क्या गुनाह किया उनको समाज के हांसीए पर क्यूँ रखा गया है?? उनके लिए हम एक समाज के तौर पर क्या कर पाए है!! हम तो अपनी सोच को भी बदल नही पाए।
- राज़ मेरे अल्फ़ाज़

#inspirational #किन्नर #thirdgender #किन्नरहूँ #किन्नर #thirdgender यह कविता उन सभी किन्नर को समर्पित है जिन्हें यह मानव समाज एक आदर सम्मान के साथ समाज का हिस्सा नहीं बना पाया, उन्हें वह स्थान नहीं मिला और ना ही उन्हें परिवार का प्रेम मेला हमने हमेशा ही उनका मजाक बनाया और ना हीं उनको अच्छी शिक्षा मिल पाई नर्क से भी बदतर जीवन मिला, उनको अपनी भूख को मिटाने के लिए भीख मांगनी पड़ती है अगर हम अपने आप को धर्मी कहते हैं तो हमारे अंदर की रिक्त मानवता से यह सवाल है की हम इनको मानव क्यों नहीं समझ पाते इनको भी वही इज़्ज़त वही स्थान क्यों नहीं दे पाते उन्होंने क्या गुनाह किया उनको समाज के हांसीए पर क्यूँ रखा गया है?? उनके लिए हम एक समाज के तौर पर क्या कर पाए है!! हम तो अपनी सोच को भी बदल नही पाए। - राज़ मेरे अल्फ़ाज़

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