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टूट टूट कर जी रहे थे अब तक टूटी जिंदगी में ही सिमट

टूट टूट कर जी रहे थे अब तक
टूटी जिंदगी में ही सिमट जाएंगे क्या अब

बिखरे हुए फूल से जो अरमान रहे अब तक
सूखे झाड जैसे और उजाड़ हो जाएंगे क्या अब

घुट घुट कर जैसे तैसे निभाई अब तक
घुटन में और सांस ले पाएंगे क्या अब

ख़्वाबों के महल जो खंडहर हो चुके अब तक
उन्ही घहराइयों में दब कर रह जाएंगे क्या अब

क्यों नहीं उबर सकते
क्यों नहीं निकल सकते
क्यों नहीं सवंर सकते
क्यों नहीं हरे हो सकते

फूल खिलेंगे एक दिन जरूर
खुली हवा सांसो को मिलेगी एक दिन जरूर
निकलेंगे बाहर छूने आकाश को एक दिन जरूर
जिंदगी मुस्कुराएगी एक दिन जरूर
गवाह होंगे हम उस पल के एक दिन जरूर एक दिन जरूर

‌#justthinkpositive
#shriradhekrishna
टूट टूट कर जी रहे थे अब तक
टूटी जिंदगी में ही सिमट जाएंगे क्या अब

बिखरे हुए फूल से जो अरमान रहे अब तक
सूखे झाड जैसे और उजाड़ हो जाएंगे क्या अब

घुट घुट कर जैसे तैसे निभाई अब तक
घुटन में और सांस ले पाएंगे क्या अब

ख़्वाबों के महल जो खंडहर हो चुके अब तक
उन्ही घहराइयों में दब कर रह जाएंगे क्या अब

क्यों नहीं उबर सकते
क्यों नहीं निकल सकते
क्यों नहीं सवंर सकते
क्यों नहीं हरे हो सकते

फूल खिलेंगे एक दिन जरूर
खुली हवा सांसो को मिलेगी एक दिन जरूर
निकलेंगे बाहर छूने आकाश को एक दिन जरूर
जिंदगी मुस्कुराएगी एक दिन जरूर
गवाह होंगे हम उस पल के एक दिन जरूर एक दिन जरूर

‌#justthinkpositive
#shriradhekrishna
trapti7856055917958

Trapti

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एक दिन जरूर ‌justthinkpositive #shriradhekrishna