*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“26/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 एक बात है जो “जानते” सभी है, “समझ” कम ही पाते है ये “प्रेम” ये,“आनंद” इन सबका प्रारंभ होता है “निःस्वार्थ” भाव से, अब जैसे “माता” को ही देख लिजिए जब एक “माता” “संतान” को जन्म देती है तो “संसार” ये भुल जाता है कि उसने भी एक “नया जन्म” लिया है, क्योंकि एक “स्त्री” जो है वो एक “माता के रूप” में “जन्म” जो ले लेती है, एक “स्त्री”, “पत्नी” और “बहु” बनकर कुछ “अधिकार” प्राप्त कर लेती है, और जब “मां” बन जाती है तो वो केवल देना जानती है, अपनी “संतान” के लिए क्या कुछ नहीं करती, उसे “वात्सल्य के सागर” में तैराती है इस संसार में “राजकुमार” जन्म लेते है उन्हें “राम” और “लक्ष्मण” “मां” बनाती है, “ग्वाले” जन्म लेते है उन्हें “द्वारकाधीश” मां बनाती है, “पिता” वो “पर्वत” है जिसका एक भाग बालक है किंतु “माता” वो “शिल्पकार” है जो “चट्टानों के टुकड़ों” को “निखारकर” एक ऎसी “मूर्ति का निर्माण” करती है,जिसकी “पूजा” की जा सके, इस “जीवन का द्वार” ही है “ममता”... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“26/10/2021”*📝 ✨ *“मंगलवार”*🌟 #“प्रेम” #“निःस्वार्थ भाव”