कुछ ऐसा लिख दूं, जो लिख कर सुकून मिले लबरेज है जो सागर, पन्नों पर छलक पड़े कोई भाता नहीं मुझे आजकल बंद कमरों में कदम सिमट गएं कैसे कहूं क्या है दिल में जिसे भी चाहा एक रोज बदल गए मुझमें कमी है या नसीब का दोष है चाहूं फुट फुट कर रोना काश बाहर निकाल सके मेरे दिल पे जो बोझ है #Silence #Silent