ज़िस्म की तपिश कहाँ कम होने वाली है गलत है वह गलतियों को ही बढ़ाने वाली है रास्ते ही जब चुन लिए तूने अनजाने से तो, लाख संभल ले तेरी मंजिल ही तुझे गिराने वाली है #गलतियां#hindishayari#nojotohindi#Gudiagupta