Alone हृदय गगन की लहरों में , ना जाने कब से झूम रहें है । दिव्य दर्शन के दो पल को , प्रेम पथिक बनकर घूम रहे है ।। प्रिय प्रतिबिम्ब " दिव्य शब्द संग्रह "