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Alone हृदय गगन की लहरों में , ना जाने कब से झूम

Alone  हृदय गगन की लहरों में , 
ना जाने कब से 
झूम रहें है ।
दिव्य दर्शन के दो पल को ,
प्रेम पथिक 
बनकर 
घूम रहे है ।। प्रिय प्रतिबिम्ब " दिव्य शब्द संग्रह "
Alone  हृदय गगन की लहरों में , 
ना जाने कब से 
झूम रहें है ।
दिव्य दर्शन के दो पल को ,
प्रेम पथिक 
बनकर 
घूम रहे है ।। प्रिय प्रतिबिम्ब " दिव्य शब्द संग्रह "

प्रिय प्रतिबिम्ब " दिव्य शब्द संग्रह "