धूल भरे रास्तों पर चलकर भी मंजिलों तक जाना है बाद की बात है ये कि किसके हिस्से क्या आना है ठान के चलोगे तो तुम्हें रोक किसने पाना है पास जाना पड़ता मंजिलों के इसने खुद चलकर नहीं आना है चाहे घनघोर अंधकार हो या मचा हाहाकार हो वायु का गुबार हो या अंगारो का पहाड़ हो चलते तेरे कदमों को अब रोक ना इन ने पाना है मेहनत, हिम्मत, ताकत के दम पर मंजिलों तक जाना है #मंजिलों #तक #जाना #है