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एक हद्द तक बेहतर लगती है हर चीज़, एक वक्त के बाद ख

एक हद्द तक बेहतर लगती है हर चीज़,
एक वक्त के बाद खामोशियां भी चुभने लगती हैं।

©Tanya Sharma (लम्हा) #evening 

खामोशियां बहुत खुबसूरत चीज़ है
किंतु हर चीज एक सीमा तक ही khubsurat लगती है। हर चीज एक सीमा तक बेहतर है।।
हमेशा खामोश रहना भी कभी कभी हानिकारक है।
जैसे की एक व्यक्ति पर नित नए अत्याचार हों और वो ये सोच चुप रहे की खामोशियों से शोर होगा मेरा भी वक्त आएगा तो उसे और दबाया जाएगा।
उस वक्त आवाज उठाना जरूरी है।
हर वस्तु की एक निश्चित सीमा है कब क्या चीज सही रहेगी ये भी निश्चित है।
एक हद्द तक बेहतर लगती है हर चीज़,
एक वक्त के बाद खामोशियां भी चुभने लगती हैं।

©Tanya Sharma (लम्हा) #evening 

खामोशियां बहुत खुबसूरत चीज़ है
किंतु हर चीज एक सीमा तक ही khubsurat लगती है। हर चीज एक सीमा तक बेहतर है।।
हमेशा खामोश रहना भी कभी कभी हानिकारक है।
जैसे की एक व्यक्ति पर नित नए अत्याचार हों और वो ये सोच चुप रहे की खामोशियों से शोर होगा मेरा भी वक्त आएगा तो उसे और दबाया जाएगा।
उस वक्त आवाज उठाना जरूरी है।
हर वस्तु की एक निश्चित सीमा है कब क्या चीज सही रहेगी ये भी निश्चित है।
usssharma6827

Lamha

Bronze Star
New Creator
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#evening खामोशियां बहुत खुबसूरत चीज़ है किंतु हर चीज एक सीमा तक ही khubsurat लगती है। हर चीज एक सीमा तक बेहतर है।। हमेशा खामोश रहना भी कभी कभी हानिकारक है। जैसे की एक व्यक्ति पर नित नए अत्याचार हों और वो ये सोच चुप रहे की खामोशियों से शोर होगा मेरा भी वक्त आएगा तो उसे और दबाया जाएगा। उस वक्त आवाज उठाना जरूरी है। हर वस्तु की एक निश्चित सीमा है कब क्या चीज सही रहेगी ये भी निश्चित है। #Quotes