निकाल फेंकूँ भीतर की सारी रक्त कणिकाएँ कर लूँ खुद को मैं स्वयं को बज्र की भाँति कठोर यह रक्त का प्रवाह न रहे शरीर में, जो यह थक्का जमाए मिटाकर संपूर्ण भावनाएँ भीतर की ,हो जाऊँ झकझोर श्वेत हो जाए मेरी सब समस्याएँ विरक्त हो जाऊँ जैसे कोई अघोर वर पाकर मृत्यु का रहेगी केवल माँसास्थि,मिट जाएगी सारी चिंताएँ मेरे बाद हो जाऊँ मैं "अनाम", मृत्यु बस कर इतना उपकार। #रक्त_कणिका #ह्रदय #मांसस्थि #मृत्यु_का_वरण #अनाम #गढ़वालीगर्ल #yqdidi यूँ ही.... #anumika