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वह एक परिंदा हो चुका था_ हज़ारों की उम्मीदों के प

वह एक परिंदा हो चुका था_
 हज़ारों की उम्मीदों के पंख बना कर,
वह आसमां छूना चाहता था_
कष्ट सह कर, गिर कर खुद को संभाल कर,
वह सोते-जागते बस आसमां ही देखता था_
जिसे पाकर उसके सब कष्ट दूर हो जाने थे,
अपनी बहुत सी खुशियों को उसने ठहराव दिया था_
उसके पास मन को समझाने के लाख बहाने थे,
कई वर्षों से वह खुद को भांप रहा था_
युद्ध के मैदान में अपनी किस्मत से हार रहा था,
तमाम मशक्तों बाद वह इस अंजाम पर आया था_
कई चोटें खाने के बाद उसने किस्मत को भी अपने आगे झुका पाया था,
लहरें खुशियों की उसके अंदर उफान मार रहीं थीं_
अब सब अच्छा हो जाएगा यह उम्मीदें बांध रहीं थीं,
पर क्या हाल कहें उस नीति बनाने वाले का जिसने एक कुनीति बना दी,
उस संघर्ष करते परिंदे की सभी आशाएं-उम्मीदें उसी के साथ हमेशा-हमेशा के लिए सुला दी...

©Pandit Abhishek Pandey 108 #SAD #Suicide #Love
वह एक परिंदा हो चुका था_
 हज़ारों की उम्मीदों के पंख बना कर,
वह आसमां छूना चाहता था_
कष्ट सह कर, गिर कर खुद को संभाल कर,
वह सोते-जागते बस आसमां ही देखता था_
जिसे पाकर उसके सब कष्ट दूर हो जाने थे,
अपनी बहुत सी खुशियों को उसने ठहराव दिया था_
उसके पास मन को समझाने के लाख बहाने थे,
कई वर्षों से वह खुद को भांप रहा था_
युद्ध के मैदान में अपनी किस्मत से हार रहा था,
तमाम मशक्तों बाद वह इस अंजाम पर आया था_
कई चोटें खाने के बाद उसने किस्मत को भी अपने आगे झुका पाया था,
लहरें खुशियों की उसके अंदर उफान मार रहीं थीं_
अब सब अच्छा हो जाएगा यह उम्मीदें बांध रहीं थीं,
पर क्या हाल कहें उस नीति बनाने वाले का जिसने एक कुनीति बना दी,
उस संघर्ष करते परिंदे की सभी आशाएं-उम्मीदें उसी के साथ हमेशा-हमेशा के लिए सुला दी...

©Pandit Abhishek Pandey 108 #SAD #Suicide #Love