#कुछ_ख़त.... एक रोज़ वो तारा भी टूटेगा, एक रोज़ वो चाँद ज़मी पे भी आएगा, एक रोज़ तुम भी मिलोगे, एक रोज़ वो सपना भी सच होगा, पर उस एक रोज़ ये उम्र गुज़र चुकी होगी, और उस एक रोज बेशक़ तुम्हे मुझसे बेइंतहा मोहब्बत होगी..!! #कुछ_ख़त.... कुछ खत लिखे रखे हैं उसी दराज़ में आज भी, जिसे भेजने से पहले ही उनके जज्बातों को जला देना पड़ा, कुछ इस तरह ही खुले आसमाँ के नीचे लेटे रहे रातभर, और उन सारे सपनों को अपने हाथों से तोड़ना पड़ा, अरे! देखो ना..उस तारे को भी आज