हरी-भरी डालियों, पत्तों, शाखाओं, फलों और फूलों से लदा हुआ वो पेड़ सोचता है, क्या होता अगर, उस बीज को किसी ने मिट्टी में ना दबाया होता? किसी ने उस नन्हे पौधे को पानी ना दिया होता? किसी ने उस नाज़ुक वृक्ष को बाड़ लगाकर पशुओं से ना बचाया होता? किसी ने ख़ाद देकर उसको और मज़बूत ना बनाया होता? क्या होती फिर उसकी शख्सियत? क्या ऐसी हीं होती? शायद इसीलिए वो फलों से लदकर थोड़ा और झुक जाता है। क्यूंकि उसे पता है, इनके पीछे की मेहनत सिर्फ उसकी नहीं। आज़ की उसकी शख्सियत सिर्फ उसकी नहीं। ©Pratima Tiwari #कृतज्ञता #आत्म_बोध