White दरवाजे पे उसकी आहट है, या दस्तक, दिल को है भरम कोई आई है दस्तक। जो थाम के गिरने से बचा लेती थी, अब छू रही यादें और परछाईं है दस्तक। जो लोरी सुनाती थी नींदों को पुरसुकू कभी, अब ख़्वाब में सिसकी बन आई है दस्तक। जहां उसके आंचल की ठंडक थी कभी, अब दर्द है तन्हाई है गुफ्तगू है दस्तक। तस्वीर के साये से भी अब तो आती सदा, क्यों तू नहीं आती, पर आई है दस्तक। दुआओं की चादर थी जो सिर पर कभी, अब हर तरफ़ खाली सहराई है दस्तक। दिल चीख के कहता है इक बार तो आ, मां, तेरी कमी है और रुबाई है दस्तक। राजीव ©samandar Speaks #good_night