अपनी आभा से धरती को करने को गुलजार, सुमन धरा पे खिले संग ले सतरंगी संसार। पहन हरित-वसन-बसंत ने जीवन दिया धरा को, मंद-महक पवन संग उड़-उड़ भर देती घर द्वार #वसंत #